

वर्ष 28 । अंक 9 । 6 ऑगस्ट 2011
अंतरंग
जागरण
लोकपाल म्हणजे रामबाण नव्हे
श्रीकृष्ण उमरीकर 3------------------------------------------------------------------------------
प्रासंगिक
अण्णांचे आंदोलन व्यर्थ आहे
मूळ लेखिका : तवलिन सिंह/अनु.: शेतकरी संघटक ब्युरो 6------------------------------------------------------------------------------
व्यक्तिविशेष
अशोक गुलाटी : द्रष्टा शेती अर्थशास्त्रज्ञ
अजित नरदे 7------------------------------------------------------------------------------
आजकाल
‘स्वातंत्र्य का नासले?’ पुस्तकाविषयी
ज्ञानेश्वर शेलार 12------------------------------------------------------------------------------
कॉमन नॉन सेन्स
राज ठाकरे उत्तर द्या! या अभागी शेतकर्यांनी जायचे कोठे?
सुधाकर जाधव 14------------------------------------------------------------------------------
मधोमध
भारतीय जनता पार्टी (कॉंग्रेस गट) अर्थात ‘पार्टी विथ डिफ्रन्सेस’
दत्ता जोशी 16------------------------------------------------------------------------------
वाङ्मय शेती
भोंडला, हादगा आणि भुलाबाईची गाणी : उत्तरार्ध
गंगाधर मुटे 19----------------------------------------------------------------------------
भारत की जुबानी
आरक्षण और अस्मिता
ऍड. दिनेश शर्मा 22----------------------------------------------------------------------------
(उ)संतवाणी
असला कापूस नकोच लावूस
‘थंडा’ महाराज देगलूरकर 25----------------------------------------------------------------------------
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