वादळाची जात अण्णा
माणसे खंबीरतेने, टाकतेया कात अण्णा
इंडियाला भावला हा, एक झंझावात अण्णा
धर्म सत्तेचा कळेना, का असा सोकावलेला?
भ्रष्ट नेते मोकळे अन, कोठडीच्या आत अण्णा
भ्रष्ट आचारास सत्ता, मुख्य झाला स्रोत आहे
घाव घाला केंद्रस्थानी, एकदा द्या मात अण्णा
एक आशेचा उमाळा, शोधताहे देशवासी
चेतना चिंतामणीची, भासते बरसात अण्णा
आस अण्णा श्वास अण्णा, अभयतेचा ध्यास अण्णा
अग्निलाही पोळणार्या, वादळाची जात अण्णा
- गंगाधर मुटे
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